मूली भाजी (Radish Greens) के बारे में पूरी जानकारी मैं आपको विस्तार से देता हूँ, ताकि आपको इसके पौधों, पोषण, फायदे, उपयोग, और सावधानियों के बारे में संपूर्ण समझ मिल सके।


1. परिचय

  • नाम (हिंदी): मूली भाजी
  • अंग्रेज़ी नाम: Radish Greens
  • वैज्ञानिक नाम: Raphanus sativus
  • परिवार: Brassicaceae (सरसों परिवार)
  • मूली की जड़ जितनी मशहूर है, उसकी पत्तियां (भाजी) भी उतनी ही पौष्टिक होती हैं।
  • इसे कई क्षेत्रों में साग, भाजी, थोरन, स्टिर-फ्राई या पराठों में इस्तेमाल किया जाता है।

2. पहचान और संरचना

  • हरे रंग की मुलायम, रोयेंदार पत्तियां।
  • स्वाद में हल्का तीखापन और कड़वाहट।
  • पत्तियां कोमल अवस्था में सबसे स्वादिष्ट होती हैं।
  • पत्तों के साथ डंठल भी खाने योग्य होता है।

3. पोषण मूल्य (100 ग्राम में)

पोषक तत्व मात्रा ऊर्जा ~25 कैलोरी प्रोटीन 2-3 ग्राम कार्बोहाइड्रेट 3-4 ग्राम फाइबर 1.5-2 ग्राम विटामिन A 7500 IU विटामिन C 80-90 mg कैल्शियम 250-300 mg आयरन 2-3 mg पोटैशियम 300-350 mg

मूली भाजी में कैल्शियम, आयरन, फोलेट और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर होते हैं।


4. स्वास्थ्य लाभ

  1. हड्डियों को मजबूत बनाए – कैल्शियम और फॉस्फोरस की भरपूर मात्रा।
  2. रक्ताल्पता (एनीमिया) में लाभकारी – आयरन और फोलेट से रक्त निर्माण बढ़ता है।
  3. पाचन सुधार – फाइबर से कब्ज में राहत।
  4. त्वचा और आंखों के लिए लाभकारी – विटामिन A और C।
  5. प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए – एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन C की वजह से।
  6. थायराइड स्वास्थ्य में सहायक – गॉइट्रोजेन्स की नियंत्रित मात्रा।

5. उपयोग

  • पकाने के तरीके:
    • मूली भाजी की सब्जी (आलू या बेसन के साथ)
    • पराठा भराई
    • दाल में डालकर
    • मूली भाजी थोरन (नारियल के साथ)
    • मूली भाजी का सूप
  • कच्चा सेवन: बारीक काटकर सलाद में (धोकर और हल्का ब्लांच करके)।

6. सावधानियां

  • थायराइड रोगियों को इसे ज्यादा मात्रा में कच्चा नहीं खाना चाहिए (गॉइट्रोजेन की वजह से)।
  • पत्तियों पर मिट्टी और कीटनाशक हो सकते हैं, इसलिए अच्छी तरह धोकर ही इस्तेमाल करें।
  • बहुत पुरानी और सख्त पत्तियां पचने में भारी हो सकती हैं।

7. रोपण और खेती

  • मौसम: सर्दियों में सबसे अच्छा।
  • बीज बोने का समय: अक्टूबर से जनवरी।
  • मिट्टी: हल्की दोमट, pH 6-7।
  • तोड़ाई: बीज बोने के 20-25 दिन बाद पत्तियां तोड़ी जा सकती हैं।

8. आयुर्वेदिक दृष्टि से

  • मूली भाजी कफ और वात को संतुलित करती है।
  • यह रक्त को शुद्ध करने वाली और पित्त शांत करने वाली मानी जाती है।
  • पेट की सफाई और पाचन शक्ति में सुधार लाती है।

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