कहानी – “आखिरी पत्थर”
एक बार एक छोटा-सा गाँव था। वहाँ एक गरीब लड़का रहता था, जिसका सपना था कि वह बड़ा आदमी बने। लेकिन हालात ऐसे थे कि रोज़ दो वक्त की रोटी जुटाना ही मुश्किल हो जाता था।

एक दिन वह पास के मंदिर में गया। मंदिर की इमारत अधूरी बनी हुई थी। वहाँ एक बुज़ुर्ग पत्थर तराशने वाला कारीगर काम कर रहा था। लड़के ने देखा कि वह कारीगर एक ही पत्थर पर घंटों हथौड़ा चला रहा है, लेकिन पत्थर टूट ही नहीं रहा।
लड़के ने उत्सुकता से पूछा –
“बाबा, आप इतना क्यों कोशिश कर रहे हैं? पत्थर टूट नहीं रहा, क्या आप थकते नहीं?”
कारीगर मुस्कुराया और बोला –
“बेटा, जब मैं इस पत्थर पर 100 बार हथौड़ा मारता हूँ तो हो सकता है कि वह 100वीं चोट पर टूटे, लेकिन टूटता वह सिर्फ एक चोट से नहीं, बल्कि उन सारी 99 कोशिशों की ताक़त से है।”

ये सुनकर लड़के को समझ आ गया कि मेहनत का असर तुरंत नहीं दिखता, लेकिन हर कोशिश हमें मंज़िल के और करीब ले जाती है।
वह लड़का रोज़ छोटे-छोटे कदम उठाने लगा – कभी पढ़ाई, कभी काम, कभी मदद। धीरे-धीरे हालात बदले। सालों बाद वही लड़का अपने गाँव का सबसे सफल और सम्मानित व्यक्ति बना।

सीख (Moral):
कभी भी अपनी मेहनत को बेकार मत समझो। हर कोशिश तुम्हें तुम्हारे सपनों के और करीब ले जाती है। हार मानने वाला वहीं रुक जाता है, लेकिन कोशिश करने वाला एक दिन जीत ही जाता है। 🌟